बदलते युवाओं के लिए सरस्वती पूजा होता है केवल अश्लील गानों पर डांस करने के लिए



प्रशांत कुमार


समय बीतता गया और हर कुछ बदलता गया।कभी पूजा पाठ अनुष्ठान का विषय था,आत्मीय लगाव की बात थी लेकिन आज ये भी बदल चुका है ।खासकर बिहार में सरस्वती पूजा का स्वरूप ही बदल गया है।आज गिने चुने युवाओं के लिए ये पूजा है बाकी के लिए मनोरंजन का बहाना .कभी जमाना था कि छात्रों को इस पर्व का इंतजार रहता था कि साल भर के पढ़ाई का हिसाब किताब करे और आगे बेहतरी के लिए कुछ खुद से प्रोमिस करे लेकिन आज सब कुछ बदल गया है । आज पूजा होता है बस विसर्जन के लिए



समय के बदलाव के साथ ये पूजा भी सरकार के लिए बर्डेन बन चुका है।बढ़ते बढ़ते आज इस कदर यह कठनाई का सबब बन गया है कि सरकार को पूजा से पूर्व इसके आदेश - निर्देश पारित करना होता है।इस बार पहली दफा सरकार ने फरमान जारी किया कि पूजा के अगले दिन विसर्जन हर हाल में सुनिश्चित किया जाय और डीजे बिल्कुल बन्द रहे।डीजे बजाने वाले कमिटी और संचालक पर कानूनी कार्रवाई के भी आदेश पारित किए गए।
बिहार के भागलपुर से खबर मिली है कि दर्जनों डीजे संचालकों से पूर्व में ही बांड भरवा लिया गया कि पूजा या विसर्जन के दौरान वो डीजे का प्रयोग नही करेंगे।जबकि कई जगहों से खबर मिली है कि खूब डीजे का प्रयोग हुआ ।सोशल साइट्स पर चैलेंज किया गया कुछ भी हो डीजे तो बजेगा।


युवा पीढ़ी के लिए ये सोचने का विषय है कि वो पूजा के नाम पर क्यों थिड़कने का बहाना बनाते हौ।क्या ये संस्कार हमारे संस्कृति की है? अगर नही है तो इस पर बदलाव करे।वो दृश्य कितना दर्दनाक ,घिनौना होता है जब कोई भी छात्र इसे ध्यान से देखे कि कल जिस मां को पूजे थे आज उसको ठेला पर लादकर और डीजे साउंड को पिकअप या कोई ट्रेक्टर पर लाद नदी में प्रवाहित करने जा रहे है और उसके सामने तू चीज बड़ी है मस्त जैसे अश्लील गानों पर अंग प्रदर्शन कर रहे है।क्या ये संस्कार हमारी मां सिखाती है ? इससे बढ़िया तो यही है न कि पूजा ही न आये कम से कम इस तरह की हड़कत तो सामने नही आएगी।


निश्चित ही किसी भी युवक को ये रास नही आएगा कि मां के सामने वो इस कदर निर्लज्ज ,पतित बन जायेगा लेकिन सत्य तो ये है कि वो इस बात पर ध्यान ही नही देते है।उनका माइंड मेकअप तो शुरू से ही होता है कि इस बार विसर्जन में इस इस गाने पर डांस करना है,रास्ते मे 10 घंटे लगाने है ।प्रसाशन जिस बात के लिए रोकेगी उसको करना है । जा रहे बस के शीशे फोड़ने है।


निश्चित ही पूजा और विसर्जन के नाम पर इस तरह की कुकृत्य निंदनीय है।खुद को भी ग्लानि महसूस होती होगी कि ये गलत है लेकिन रुकते नही है।इन तमाम विषयों पर सोचियेगा और अपने संस्कार - संस्कृति को बचाने हेतु आगे आइएगा।पूजा कीजिए विसर्जन कीजिए लेकिन ये जो आडम्बर कर रहे है इसको रोक लीजिएगा अन्यथा आने वाले पीढ़ी को क्या कहिएगा मैंने पूजा के नाम पर विसर्जन के नाम पर शर्ट खोल जीन्स को नीचे गिरा के कानफाड़ू साउंड बजा डांस किये थे ? सोचियेगा.......

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7 Comments

चिंताजनक व निंदनीय है।
Unknown said…
सही कहा इस पश्चिमीकरण ने भारतीय संस्कृति के अर्थ को ही बदल दिया है ।
Unknown said…
बहुत ही निन्दनीय बात है
Unknown said…
पश्चिमीकरण कुछ भी नही होता है।
आपको स्वयं सोचना है क्या गलत है और क्या सही?
Affan said…
Western culture has destroyed all our ancient culture...
अत्यंत ही खेदजनक बात है। ऐसे चेहरे को सुझाव देना, सचेत करना हमसबों की नैतिक जिम्मेदारी है।