प्रशांत कुमार
पढ़कर बड़ा अटपटा लग रहा होगा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया ने कैसे युवा को बर्बाद कर दिया या बर्बाद कर रहा है लेकिन सच्चाई ये है कि आज युवा पीढ़ी इंटरनेट और सोशल मीडिया के लत के कारण बर्बाद हो रहे है।एक अध्यन्न के अनुसार पूरे दिन में आज के युवा करीब आधा समय फालतू का यहीं गुजार देते है।
इंटरनेट और तमाम सोशल साइट्स ने हमें बहुतों कामों में आसानी लाया। एक दूसरे के करीब लाया लेकिन यहीं इंटरनेट और सोशल मीडिया ने अपनों से दूरी बना दिया और बहुत काम को बोझ बना दिया।जो बच्चे कल तक मोबाइल इंटरनेट से दूर थे वो बाहर मैदान में खेलकर खुद तंदुरस्त रहते थे और कम उम्र में ही आंख और शरीर के अन्य बीमारी से नही जूझते थे लेकिन आज के बच्चे मोबाइल के गिरफ्त में है ।वो मैदान या बाहर नही खेलते है वो मोबाइल में ही गेम खेलते है ।बगल के अंकल आंटी के यहां नही जाते है सोशल साइट्स से ही बात करते है ।
आज माता पिता परेशान है कि उनके बच्चे मोबाइल से चिपके रहते है ,कंप्यूटर से चिपके रहते है ।बात भी सच है स्कूल या कॉलेज उसके बाद वहीं मोबाइल वहीं कंप्यूटर ।बीते दिन जब देश के प्रधानमंत्री छात्र नौजवान और उनके अभिभवक से बात कर रहे थे तो वहां भी एक मां ने अपने बच्चे के बारे में शिकायत किया कि उनका बच्चा हमेशा मोबाइल में गेम खेलते रहता है।आज यह समस्या एक बीमारी का रूप ले लिया है जो लाइलाज बनते जा रहा है।
सोशल साइट्स ने हमारा कुछ काम आसान किया जैसे सूचना का आदान प्रदान सहजता से हो पाता है।दूर बैठे अपनों से भी हम जुड़े रहते है और उनके साथ कोई जरूरी विचार शेयर भी कर सकते है।महंगे कॉल चार्ज की बचत कर हम उनसे मात्र डेटा चार्ज पर दिल खोलकर जी भर के बात कर सकते है लेकिन इसके लत ने आज परिवार की ख़ुशी छीन लिया है.
आँख के चिकित्सक के पास आते है अधिकांश युवा
वर्तमान समय मे आंख के चिकित्सक के पास अधिकांश युवाओं और बच्चों की भीड़ लगी रहती है ।वो बस मोबाइल और कंप्यूटर के प्रभाव से हुए बीमारी का इलाज करवाने यहां आए होते है।डॉक्टर तमाम मरीजों को सलाह देते है कि एक शिफ्ट में 45 मिंट जे ज्यादा मोबाइल या कंप्यूटर पर काम न करे लेकिन इसको मानता कौन है।एक और अध्यन्न में ये बात सामने आया है कि एक सोशल साइट्स यूजर हर 6 सेकेंड पर अपना फेसबुक या व्हाट्सएप्प नए नोटिफिकेशन के लिए चेक करता रहता है।
बच्चे के पढ़ाई पर इंटरनेट के कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।समय सीमा का कोई बाध्यता नही रहने के कारण सभी बीमार पर रहे है।व्यक्ति में चिड़चिड़ापन का बीमारी तेजी से आ रहा है।डॉक्टर के पास गए बीमार को उनका पहला सलाह होता है कि मोबाइल लैप्टप्प से दुरी बनाइए और तमाम सोशल साइट्स को मोबाइल से हटाइए ।
आज युवाओं को सोचना होगा कि वो एक फिक्स टाइम ही सोशल साइट्स पर देंगे।अगर वो ऐसा करने में नाकाम होते है तो उनका भविष्य अधर में जाना निश्चित है।आज जो भी टॉपर है उनका पहला सलाह होता है तैयारी शुरू करने से पहले सोशल साइट्स से दूरी बनानी होगी फिर ही सफलता की कल्पना की जा सकती है।सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले अधिकांश छात्रों का मत है कि वो तैयारी के दौरान इससे दूर रहे है तब ही सफलता अर्जित किये है।
सोशल साइट्स का आज दुरुपयोग सदुपयोग से ज्यादा दुरुपयोग के लिए हो रहा है।किसी भी घटना दुर्घटना से सम्बंधित सबसे ज्यादा अफवाह अगर फैलता है तो वो है सोशल साइट्स।सरकार और प्रशासन आज परेशान रहते है कि इसपर कैसे लगाम लगाया जाये।चूंकि जब किसी अफवाह से पूरे क्षेत्र में परेशानी बढ़ जाता है तो उसमें कितने निर्दोष फंस जाते है और कितने निर्दोष मारे तक चले जाते है ।निश्चित ही सरकार को इस ओर ध्यान आकृष्ट कर समस्या जटिल न हो ठोस कदम उठानी चाहिए।
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