शुरू से अंत तक मुरलीगंज मामला

चार सितंबर शुक्रवार को सुबह में मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत सिंगियान तिनकोंवा सायफन के पास सैकड़ो मवेशी का शव ग्रामीणों द्वारा देखा जाता है।मवेशी के शव वो सैकड़ो की संख्या में होने की बात सुन यह खबर कानों कान पूरे गांव सहित शहर व अन्य जिले में भी आग की तरह फैल जाता है।लोगों में आक्रोश सातवें आसमान पर पहुंच जाता है।इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को भी मिलती है और तत्क्षण पहुँच स्थिति का जायजा लेते है।





मुरलीगंज पुलिस स्थल पर पहुंच लोगों को समझाने की प्रयास में लीन होते है लेकिन लोगों के आक्रोश के आगे मुरलीगंज पुलिस को ग्रामीण अनसुना कर देते है ।पुलिस द्वारा मुरलीगंज के स्थिति के बारे जिले के वरीय अधिकारी को अवगत कराया जाता है।जिले के वरीय अधिकारी भी जानकारी पा स्थल पर पहुंचते है जिसमे जिला से अनुमंडलाधिकारी संजय कुमार निराला और अनुमंडल पुलिस अधिकारी राजेश कुमार पहुंच स्थिति को समझ ग्रामीणों को समझाने में लग जाते है लेकिन लोग बिल्कुल ही समझने को तैयार नही थे और दोषी पर तुरन्त कार्रवाई की मांग पर अड़ गए।वरीय अधिकारी के साथ धक्का मुक्की करने लगे।नारेबाजी के दौर शुरू कर दिया।


लगातार अधिकारी समझाने का प्रयास करते रहे लेकिन सब व्यर्थ ।इसी बीच कुछ अति आक्रोशित लोगों ने एसडीएम संजय निराला के गाड़ी को क्षतिग्रस्त कर नहर में पलट डाला।अब स्थिति बेकाबू हो गयी थी।पदाधिकारियों का भीषण गर्मी में लोगों को समझाने के बाद भी टस से मस नही होने से स्थिति बेकाबू हो रही थी।लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा था। लगातार अब तक पहुंचे अधिकारी ग्रामीणों को समझाने में लगे हुए थे।ग्रामीणों के आक्रोश ,मुर्दाबाद आदि नारों को झेलते हुए आश्वश्त करते रहे कि इस कार्य के दोषी पर हर हाल में कार्रवाई की जाएगी लेकिन लोग नही माने।






अबतक मुरलीगंज में भाड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर ली गयी थी।पूरा इलाका छावनी में तब्दील हो गया।पूरा इलाका हर ओर पुलिस ही पुलिस नजर आने लग गयी।तबतक जिलाधिकारी मो.सोहेल और पुलिस अधीक्षक विकास कुमार पहुंचते है।लोगों के आक्रोश को झेलते हुए जिलाधिकारी ने लोगों को समझा बुझा भीड़ हटाने में कामयाब हो जाते है।लोग इस आश्वासन पर भीड़ खत्म कर देते है कि डीएम आश्वाशन देते है दोषी कोई हो उनपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।आपलोग धैर्य बनाकर प्रशासन का साथ दे।लोग मान जाते है ।सभी वहां से निकल जाते है।प्रशासन भी रात में ही शव को दफना देती है।


सूत्र बताते है कि इसी बीच कुछ असामाजिक तत्व आपस अगले दिन विरोध करने का निर्णय ले लेती है जो 5 सितम्बर को अहले सुबह रौद्र रूप ले लेती है और मुरलीगंज सुलगने लगता है।तब तक मधेपुरा सहित सीमावर्ती सात जिले के इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया जाता है।5 सितम्बर की सुबह एन एच 107 को जाम कर दिया जाता है।नारेबाजी शुरू हो जाती है ।दोषी पर तुरन्त फांसी की मांग शुरू हो जाती है।अब एक बार फिर स्थिति विकट हो जाती है ।पुलिस से तो छावनी में तब्दील इलाका था ही लेकिन अब तक पुलिस शांत हो शांति की अपील कर रहे थे।प्रदर्शनकारी थे कि कुछ सुनने को तैयार नही थे।लोग लगातार उग्र होते रहे ।रुक रुक कर हल्की फुल्की लाठी चली एक दो गोले अश्रु गैस के भी दागे गए।दिन के करीब 12 बजे पुलिस स्थिति को बिना लाठीचार्ज किये संभालने में परेशान दिख रही थी।अब प्रदर्शनकारी भी अपने सबाब पर थे।इससे पूर्व ये सब पुलिस पर पत्थर फेंक चोटिल और घायल कर दिए थे हालांकि पुलिस ने भी नही छोड़ा जबाब में इनलोगों ने भी पत्थर फेंके ।दोनों तरफ से लोग घायल हो गए।


अब लगभग 12 बज चुके थे सूर्य भी आग के गोले बरसा रहे थे ।अब पुलिस के इतिमिनान का सब्र टूट गया था पुलिस अधीक्षक मौके पर मौजूद होते है । raf के जवान मोर्चा संभाले हुए थे।शुरू होती है लाठीचार्च ।पुलिस प्रदर्शनकारी पर न केवल लाठीचार्ज करती है बल्कि जमकर पीटती है और अश्रु गैस के गोले दागते जाते है।पूरा इलाका थर्रा जाता है।पुलिस लगातार भीड़ को जमकर पिटती है ।प्रदर्शनकारी अब भी मौका पाकर पुलिस पर पत्थर फेंके देती है।पुलिस का भी गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता हैं।जो धड़ाया जमकर धुनया का फार्मूला चल रहा था।तीन चार बजे सन्ध्या तक स्थिति पूरी तरह पुलिस के नियंत्रण में आ जाता है ।


इस लाठीचार्ज में न केवल आमलोग ,प्रदर्शनकारी पिटाते है बल्कि आम राहगीर भी पिटाते है।5 सितम्बर शिक्षक दिवस के चलते स्कूली बच्चे का आवत जावत होता है वो भी raf से नही बच पाते है और लाठी खा जान बचा भागते है।इलाके के लोग पहली बार हाथ खड़ा कर जाना है का नियम जाने थे से पहले से किसी को पता नही होता है कि हाथ खड़ा कर जाना है जो नही हाथ खड़े कर पाते  थे पुलिस के मजबूत लाठी के शिकार होते थे।कुछ मासूम बच्चे भी लाठी से नही बच पाए ।हालांकि वहां पर मौजूद एक अधिकारी बार बार कहते रहे कि निर्दोष न पीटे का ध्यान रहे लेकिन raf तैयार नही थी सुनने को खूब लाठी बरसाई।भीड़ में भगदर के चलते कुछ लोग के चप्पल वहां छुट जाते है l किसी तरह लाठी खाकर वहां बचकर अगल बगल में छुप जान बचाते है जब स्थिति सामान्य होती है तो जिनका चप्पल वहां छुट जाता है लेने आते है कि पुलिस उसे जमकर पिटती है और यह कहकर गिरफ्तार कर लेती है कि इसका चप्पल यहाँ छूटा है मतलब ये भी प्रदर्शन में था l लाख कहते रहे कि मै राहगीर हूँ कौन सुनता है गिरफ्तार कर लिए जाते है l 



पुलिस ने इस मामले में 26 लोगों को गिरफ्तार कर लेती है जिसमे कुछ निर्दोष के भी गिरफ्तार कर लेने के बात सामने आई है।लोगों में इस बात को लेकर अब भी आक्रोश व्याप्त है।दुकाने बन्द किये हुए है।प्रशासन ने सबों को उसी रात कारागार भी भेज दिया है।पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दिया जाता है।पुलिस लगातार गस्त कर रही होती है। जिले में 76 घण्टे बाद इंटरनेट सेवा बहाल की जाती है।अब भी लोगों में आक्रोश व्याप्त होता है कि निर्दोष को पुलिस गिरफ्तार कर लाई है।लोगों का कहना है अपने घर के पास थे गेट पर थे वहां से पुलिस उठा जमकर पिटाई की है और गिरफ्तार कर ली है।बाजार बंद किये हुए है कहना है निर्दोष को पुलिस छोड़े तब ही बाजार खोलेंगे।


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