मधेपुरा जिला प्रशासन ने साहसिक कदम उठा कर छात्रों के साथ कर दिया अन्याय

मधेपुरा जिला आज एक बार फिर से समूचे राज्य का नजर अपनी ओर आकर्षित किया है।इससे पूर्व राजनीतिक मुद्दे ,बेहतरी ,आमजन के समस्या के मुद्दे आदि रहे है लेकिन इस बार छात्र युवाओं के हक की बात है ।बीते दिन हुए कार्यपालक सहायक की भर्ती हेतु ली गयी परीक्षा में धांधली का है।छात्रों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने मोटी रकम का खेल कर अपने चहेतों को नौकरी दिया है।आरोप में सत्यता की पूरी गुंजाइस है क्योंकि प्रश्नपत्र के शोशल साइट्स पर वायरल होना, एक दिन में 36000 कॉपी जांच कर देना और फिर ओबीसी कटेगरी के छात्रों को एससी एसटी में डाल देना,कॉपी का सील पैक नही होना,कॉपी पर कोई सीरियल न का नही होना इस सब से घपला नजर आता है

जिला प्रशासन ने एक दिन में कॉपी को जांच कर रिजल्ट देने का कार्य किया है निश्चित ही एक टारगेट लिया और साहस रूपी कार्य किया इसमे कोई दो मत की बात नही है लेकिन छात्र युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करके ,मेहनती छात्रों पर अत्याचार करके जिला प्रशासन ने जो कार्य किया है निश्चित ही अन्याय है।पदाधिकारी चाहे upsc वाले हो या bpsc वाले निश्चित ही वो एक टारगेट लेकर कार्य करते है और नियत समय मे उसे पूरा करते है लेकिन मधेपुरा का यह परीक्षा वाला कार्य निश्चित ही धांधली से भरा है।



मधेपुरा के जिलाधिकारी को घेरे में लेते हुए छात्रों ने सारा ठिकड़ा उनके सर फोड़ा है।सबों ने डीएम को दोषी मानते हुए परीक्षा को रद्द करने का मांग किया है।शोशल साइट्स पर छात्रों ने डीएम के प्रतिभा पर भी सवाल उठा दिया है।हालांकि जिलाधिकारी नवदीप शुक्ला बेहद ही शांत आईएएस अधिकारी है उनका मधेपुरा में पहला पोस्टिंग है लेकिन छात्रों का कहना है डीएम साहब ने भी इसमें धांधली करवाया है।छात्रों ने शोशल साइट्स पर डीएम समेत जिले के अधिकारी को खूब लताड़ा है.

अब आज माया ,जाप  छात्र संघ के कार्यकर्ताओं ने डीएम का पुतला फूंका है और रद्द करने का मांग किया है।निश्चित ही जिले के अधिकारी द्वारा  एक दिन में 36000 कॉपी जांचना मुश्किल है।छात्रों ने प्रश्नपत्र पर भी सवाल उठाया है कि जॉब कंप्यूटर से सम्बंधित है लेकिन प्रश्न जेनरल नॉलेज से था।ये किया जा सकता है क्योंकि छटनी विधि इसे मान सकते है फिर भी सम्बन्धित विषय से प्रश्न एक मानक के हिसाब से होना चाहिए। छात्रों में गजब का आक्रोश व्याप्त है।सबों ने आज अल्टीमेटम दिया है कि परीक्षा को रद्द कर पुनः परीक्षा की तिथि जारी कर अन्यथा उग्र आंदोलन आमरण अनशन किया जाएगा।अब देखना है जिला प्रशासन इस ओर क्या रुख अपनाती है।इतना तो है परीक्षा में धांधली हुआ है और जिला प्रशासन की मिलीभगत से हुआ है।

जब परीक्षा केंद्र पर मोबाइल ले जाना मना था तो व्हाट्सएप्प पर प्रश्नपत्र कैसे बाहर आया ? जाति का फ़ेरबदल क्यो किया गया ? जिस जिला प्रशासन को ये अक्ल नही कि किसी समाहरणालय के द्वारा प्रमाणित कर भेजे गए पेपर कि जांच पूरे है डीएम हस्ताक्षर कर दिया हो उसे मधेपुरा जिला प्रशासन पुनः भेज देती है जांच में और विद्वान मधेपुरा डीएम भी अपने कनीय अधिकारी को सही ठहरा देते है ,फर्जी odf के मुखिया को प्रमाणपत्र शॉल ओढ़ाते है ,जिस जिला का अधिकारी एक कार्य जो तीन माह में निपटना चाहिए उसमे तीन साल लग जाता है उस जिले के अधिकारी एक दिन में 36000 कॉपी जांच कर परिणाम जारी कर देते है .कई केन्द्राधीक्षक ने बताया कि कॉपी न सील थी न न कोई सीरियल न और प्रश्नपत्र ज़ेरॉक्स था.

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